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ISRO ने अंतरिक्ष में इतिहास रचते हुए Spadex की सफल लॉन्चिंग की, और चौथा देश बनने का गौरव प्राप्त किया भारत |

इसरो द्वारा Spadex मिशन की सफल लॉन्चिंग, एक नई तकनीकी उपलब्धि
image credit ISRO

 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार रात 10:00 बजे श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से अपने Spadex मिशन (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस मिशन को इसरो ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार दिया है।

इसरो के इस मिशन की सफलता को लेकर यह माना जा रहा है कि यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण और चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) मिशन की सफलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, यही कारण है कि इस लॉन्चिंग को बेहद अहम और ऐतिहासिक माना जा रहा है

Spadex मिशन: यह क्या है और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए इसका महत्व क्या है?

image credit ISRO
Spadex मिशन में दो सैटेलाइट शामिल हैं: पहला चेसर और दूसरा टारगेट। चेसर सैटेलाइट अपने टारगेट को पकड़ने के बाद डॉकिंग करेगा, जो एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसके साथ ही, मिशन में एक और महत्वपूर्ण टेस्ट किया जा सकता है, जिसमें सैटेलाइट से एक रोबोटिक आर्म बाहर निकलेगा, जो हुक के जरिए टेथर्ड तरीके से टारगेट को अपनी ओर खींचेगा। यह टारगेट संभवतः एक अलग क्यूबसैट हो सकता है, जिसे स्पेस में डॉकिंग करने की प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाएगा।
Spadex मिशन के इस प्रयोग से भविष्य में इसरो को एक नई तकनीक मिलेगी, जिसके जरिए वह ऑर्बिट छोड़कर अलग दिशा में जा रहे सैटेलाइट को वापस उसकी कक्षा में ला सकेगा। इसके अलावा, मिशन के माध्यम से ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग की प्रक्रिया का भी विकास किया जा सकता है। Spadex मिशन में दो अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में जोड़ने की प्रक्रिया को भी प्रदर्शित किया जाएगा, जो अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश करेगा |

भारत ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल और दुनिया का चौथा देश बनने का गौरव

ISRO ने इस तकनीक की महत्वपूर्णता को रेखांकित करते हुए बताया कि यह तब आवश्यक होती है जब एक ही मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने की आवश्यकता होती है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जिसने इस तकनीक को प्राप्त किया है, और अब तक केवल अमेरिका, चीन और रूस ही इसे हासिल कर पाए हैं।

यह मिशन कम लागत वाला है, जिससे न केवल बजट की बचत होगी, बल्कि तकनीकी उद्देश्यों को भी प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सकेगा।

ISRO का SpaDeX (Space Docking Experiment) मिशन एक कम लागत वाला तकनीकी मिशन है, जिसका प्रमुख उद्देश्य PSLV रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में दो छोटे यानों के डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करना है। ISRO के अनुसार, यह तकनीक भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जैसे कि चांद पर इंसानी मिशन, चंद्रमा से नमूने लाना, और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण एवं संचालन में सहायता प्रदान करना।

यह तकनीक चंद्रयान-4 मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण और संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी।

चंद्रयान-4 के मिशन में अंतरिक्ष में डॉकिंग की तकनीक का होना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह तकनीक दो अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने में मदद करती है, जो भारत को अपना स्पेस स्टेशन बनाने में सक्षम बनाएगी। इसके अलावा, SpaDeX मिशन में एक ही रॉकेट में दो हिस्सों को लॉन्च किया जाता है, जो अंतरिक्ष में अलग-अलग स्थानों पर छोड़े जाएंगे और यह तकनीक चंद्रयान-4 के लिए भी फायदेमंद साबित होगी

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